महाराष्ट्र में 10 वर्षीय बच्ची को एनआरआई को बेचने का आरोप — माँ व 70 वर्षीय एनआरआई आरोपी
महाराष्ट्र के ठाणे जिले में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहाँ एक 30 वर्षीय माँ ने अपनी लगभग दस साल की बच्ची को एक 70 वर्षीय एनआरआई (नॉन-रेज़िडेंट भारतीय) को सौदे में दे दिया, इसके बदले में लाखों रुपये लेने का आरोप है।
पुलिस की जाँच में पता चला है कि बच्ची को तळोजा फेज‑2 (Taloja Phase-2) में उस एनआरआई के पास रखा गया था, और आरोप है कि उस व्यक्ति ने बच्ची के साथ यौन शोषण किया।
विस्तार से विवरण
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पुलिस के मुताबिक, ख़ारघर-कोपरगाँव क्षेत्र की रहने वाली माँ ने अपनी बेटी को पैसे के लिए आरोपी एनआरआई के पास भेजा।
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आरोपी की पहचान 70 वर्षीय Farooq Allauddin Sheikh (लंदन निवासी) के रूप में हुई है।
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जानकारी मिली है कि आरोपी ने बच्ची की माँ को 2.5 लाख रुपये दिए थे और कुछ महीने तक मासिक राशि भी देने वाले थे।
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बच्ची को न सिर्फ यौन शोषण की स्थिति में पाया गया, बल्कि उस पर शराब का सेवन कराने का भी आरोप है।
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मामले की जाँच कर रही है Anti Human Trafficking Unit (AHTU) और पुलिस ने माँ व एनआरआई दोनों को गिरफ्तार किया है।
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आरोपी और माँ के खिलाफ अपराध हैं: Protection of Children from Sexual Offences Act (POCSO), Prevention of Immoral Trafficking Act (PITA) तथा नए Bharatiya Nyaya Sanhita (BNS) अंतर्गत भी प्रकरण दर्ज किया गया है।
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बच्ची को सुरक्षित स्थान पर रखा गया है और आगे की जाँच जारी है।
निष्कर्ष एवं टिप्पणी
यह घटना मानव तस्करी, बाल यौन शोषण तथा माता-पिता द्वारा बच्चों को आर्थिक लेन-देन के लिए बेचने जैसे गंभीर अपराधों की एक भयावह झलक पेश करती है। बाल सुरक्षा, सामाजिक जागरूकता और कानून प्रवर्तन के घनिष्ठ समन्वय की आवश्यकता इसे स्पष्ट रूप से दिखाती है।
सुझाव व आगे की कार्रवाई
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स्थानीय प्रशासन एवं पुलिस को चाहिए कि इस तरह के मामलों की जल्दी पहचान हेतु इनपुट-हॉटलाइन, ट्रैकिंग सिस्टम व बच्चों के सुरक्षित गृह की व्यवस्था और बेहतर करें।
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समाज में जागरूकता बढ़ानी होगी कि बच्चों को इस तरह से लेन-देन की वस्तु न माना जाए, और माता-पिता व अभिभावकों को जानकारी मिले कि इस तरह का व्यवहार अपराध है।
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पीड़ित बच्ची के पुनर्वास का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है—मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य, शिक्षा की निरंतरता सुनिश्चित हो।
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न्यायपालिका व सरकार को इस तरह के मामलों में कठोर कार्रवाई करनी होगी ताकि न सिर्फ आरोपी सज़ा पाएं बल्कि अन्य संभावित अपराधियों को भी संदेश जाए।
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