Ambala Breaking प्राथमिक पाठशाला में जलभराव, पुराने भवन में पढ़ रहे बच्चे, शिक्षकों का लगानी पड़ती है झाड़ू
अंबाला। राजस्थान के झालवाड़ा में स्कूल की छत गिरने से सात बच्चों की मौत ने हरियाणा के स्कूलों पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। अंबाला जिले में 750 सरकारी स्कूल हैं जिनमें से शिक्षा विभाग के अनुसार सिर्फ 101 स्कूल ही जर्जर हैं, जबकि हकीकत में जर्जर स्कूलों की संख्या अधिक है। इन स्कूलों में सुविधाओं की कमी है और स्टाफ भी नहीं है। ऐसा ही एक स्कूल अंबाला छावनी के राजकीय मॉडल संस्कृति प्राथमिक स्कूल रामपुर सरसेहड़ी है, जिसकी स्थापना 1874 में हुई थी। यहां पर जर्जर भवन खड़े हैं, जिन्हें अभी तक तोड़ा नहीं गया है। वहीं बच्चे पुराने कक्षा कक्ष में पढ़ रहे हैं, इसके साथ ही स्कूल के मैदान में जलभराव है जिसमें मच्छरों का लार्वा पनप रहा है। हालात ऐसे हैं कि जलभराव के पास ही एमडीएम बनता है। स्कूल के शिक्षकों को कई बार खुद सफाई करानी पड़ती है। कई बार आपस में रुपये एकत्रित कर प्राइवेट कर्मचारी से सफाई कराते हैं।
तीन कमरे जर्जर, मगर नहीं तोड़े
यहां पर प्राथमिक पाठशाला के तीन कमरे जर्जर हालत में दिखे। स्टाफ ने बताया कि दो कमरों को पिछले साल ही जर्जर घोषित किया है। मगर अभी तक इन्हें नहीं तोड़ा गया है जबकि विभाग को स्कूल की हालत के लिए लिख दिया गया है।
पिछले साल बच्चे, शिक्षक और प्रिंसिपल को हो गया था डेंगू
इस स्कूल में जलभराव एक बड़ी समस्या है। गंदे पानी और बारिश के पानी की निकासी न होने के कारण कैंपस में बच्चों को इसी पानी के बीच निकलना पड़ रहा है। गांव के एमसी ने बताया कि उन्हें डर है कि यदि पानी निकासी नहीं हुई तो बच्चों को डेंगू जैसी बीमारियां घेर सकती हैं। पिछले साल यहां प्राइमरी और मिडिल स्कूल में कई बच्चे, तीन से चार शिक्षक और खुद प्रिंसिपल तक को डेंगू हो गया था। प्राइमरी स्कूल के पास अभी तक गंदी फैली हुई है। हालांकि मिडिल स्कूल के पास प्रिंसिपल ने सफाई कराई है।
मिड डे मील कक्ष के सामने ही जलभराव
प्राइमरी स्कूल में मिड डे मील कक्ष के सामने ही जलभराव है, जिसमें काई तक जमी हुई है, इसके साथ ही यहां पर पानी की व्यवस्था तो है मगर सप्लाई के पानी से ही मिड डे मील बन रहा है। बच्चे इसी पानी को पी रहे हैं। अभी भी प्राइमरी स्कूल में आरओ या वाटर कूलर की व्यवस्था नहीं है।
बाढ़ के बाद हुआ था नुकसान
दो वर्ष पहले अंबाला में बाढ़ आने पर रामपुर सरसेहड़ी का यह स्कूल भी डूब गया था, जिसके निशान आज भी स्कूल की दीवारों पर देखे जा सकते हैं। यहां की दीवारें गंदी हैं और देखने पर लगता है कि लंबे समय से इस पर रंगाई पुताई का कार्य भी नहीं कराया है। भवन पर भी काई और दीवार पर झाड़ियां उग रही हैं इसके साथ ही कई जगहों से प्लास्टर टूटा हुआ है।
वर्ष 2021 में थे 200 बच्चे अब 140 ही बचे
स्कूल प्रबंधन की मानें तो वर्ष 2021 में इस स्कूल में 200 बच्चे थे। मगर सुविधाओं की कमी, शिक्षकों की कमी के कारण बच्चाें ने स्कूल से मुंह मोड़ दिया। मौजूदा समय में यहां पर 140 बच्चे शेष रह गए हैं। यहां पर यह सुविधाएं बढ़ाई जाएं तो अच्छा नामांकन होने की उम्मीद है।
सफाई की हालत खस्ता
स्कूल में सफाई न के बराबर दिखी। प्राइमरी स्कूल के बरामदों में कचरा फैला हुआ था। ग्राउंड में भी घास उगी हुई थी। कई कमरों में कबाड़ भरा दिखा, इसके साथ ही यहां पर लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय हैं। मगर लड़कों के शौचालय की हालत काफी खराब दिखी।
स्कूल का रिपोर्ट कार्ड
- खेल का विशेष मैदान नहीं है। कक्षा कक्षों के आगे खाली जगह है जो पक्की है। इसमें जलभराव है।
- स्कूल कैंपस में शौचालय हैं मगर लड़कों के शौचालय गंदे मिले।
- प्राइमरी स्कूल में छह शिक्षक होने चाहिए मगर तीन ही शिक्षक हैं।
- बच्चे सप्लाई का पानी पीते हैं। आरओ व वाटर कूलर नहीं है।
- बच्चों को सड़क पार कर दूसरे स्कूल में जाना पड़ता है।
- तीन कमरे जर्जर हालत में दिखे।
- स्कूल में सफाई कर्मचारियों के चार पद स्वीकृत हैं तीन खाली हैं।
हमने मिडिल स्कूल को ठीक कर लिया है। प्राइमरी स्कूल में कुछ बुनियादी सुविधाओं काे लेकर प्रयास किए जा रहे हैं। यहां सुविधाओं में बढ़ोतरी हो तो स्कूल में दाखिले भी बढ़ाए जा सकते हैं। प्राइमरी में जिन कक्षा कक्षों में बच्चे बैठ रहे हैं हमारे हिसाब से वह ठीक हैं, फिर भी उन्हें दिखवा लिया जाएगा। स्कूल में पानी के लिए वाटर कूलर एक सज्जन देंगे यह व्यवस्था जल्द दी जाएगी।
-प्रवीन कुमार, प्रिंसिपल, गवर्नमेंट मॉडल संस्कृति स्कूल, रामपुर सरसेहड़ी
मेरे पास अगर सूचना आती है तो मैं कार्यवाही करूंगा। स्कूल के मुखिया हमें लिखकर दे दें हमें प्रस्ताव तैयार करा के दें। हम निदेशालय भेजेंगे।
-सुधीर कालड़ा, जिला मौलिक शिक्षाधिकारी
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