हरियाणा की जेलों में गैंगस्टर-लुक का अंत: वर्दी, चप्पल, सफाई काम और समान व्यवहार लागू
चंडीगढ़,– राज्य के जेल विभाग द्वारा जारी नए निर्देशों के तहत Haryana की जेलों में बंद गैंगस्टरों के लिए अब विशेष “ग्लैमरस” लुक और भेदभावपूर्ण सुविधाओं पर अंकुश लगाया गया है।
नए बदलावों में निम्न-लिखित प्रमुख बिंदु शामिल हैं:
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जेल-प्रशासन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब सभी कैदी, चाहे वे आम हों या गैंगस्टर-श्रेणी के हों, जेल नियम (jail manual) के अनुसार समान रूप से काम करेंगे। “नाम-पद, दर्जा या गैंगस्टर-स्थिति का कोई विशेषाधिकार नहीं रहेगा” — बताया गया है।
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फैशनेबल कपड़े, जीन्स, ब्रांडेड शर्ट-जैकेट, महंगे जूते आदि पर प्रतिबंध लगाया गया है। अब कैदियों को वर्णित वर्दी (पजामा/शर्ट-पैंट) पहनने तथा साधारण चप्पल पहनने का निर्देश है।
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लॉन्ग हेयरस्टाइल, गहने (हार-चेन, अंगूठी), प्रदर्शनात्मक एक्सेसरीज़ भी बैन की गई हैं। जेल अधीक्षक को निर्देश दिए गए हैं कि 1 नवंबर तक इन बदलावों को लागू कर लिया जाए।
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जवान व सुधार-मनवाले सुधारात्मक पहलू भी आ रहे हैं — जेलों में कैदियों को सफाई-काम, झाड़ू-कचरा उठाने जैसे दैनिक श्रम-कार्य दिए जाएंगे, ताकि सुविधा-भोगी मानसिकता समाप्त हो सके।
बिहाइंड द सीन: क्यों ये बदलाव?
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पिछले वर्षों में यह देखा गया है कि कुछ जेलें गैंगस्टरों को विशेष सुविधा देकर उनके अंदर ही प्रभाव-क्षेत्र बनाए रखने का केंद्र बन गई थीं, जिससे जेल व्यवस्था की नैतिकता व उद्देश्य (करेक्शन, सुधार) प्रभावित हुई।
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ऐसे गैंगस्टर जेल के भीतर से नेटवर्क चलाते रहे, मोबाइल फोन, बाहरी संबंध, extortion कॉल आदि का संचालन करते रहे — जिससे जेल “सामान्य कैदियों की तरह रहने” का स्थान नहीं रहा।
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सरकार व प्रशासन का उद्देश्य है कि जेल व्यवस्था आकर्षक न बने, दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत न बने कि “गैंगस्टर-जीवनशैली जेल में भी चल सकती है” — बल्कि सुधार-उन्मुख, अनुशासन-उन्मुख बनें।
चुनौतियाँ व आगे का रास्ता
यद्यपि यह निर्णय अहम है, लेकिन इसके सफल क्रियान्वयन में चुनौतियाँ मौजूद हैं:
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प्रशासन को सुनिश्चित करना होगा कि वर्दी-पहनावा, चप्पल, हेयरकाट आदि नियम सभी जेलों में समान रूप से लागू हों — जिसमे ऐसे कैदियों की निगरानी भी शामिल है जो पुराने नियमों के अधीन थे।
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जेलों में मोबाइल फोन, अंदर-बाहर का नेटवर्क, सामाजिक मीडिया का इस्तेमाल जैसे उपकरण अभी भी समस्या बन सकते हैं — इसलिए प्रशासन को तकनीकी व सुरक्षा उपायों को भी मजबूत करना होगा। Rising Kashmir+1
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सुधार-कार्य और कैदियों को पुनर्वास की दिशा में भी कदम बढ़ाने होंगे — सिर्फ दिखावे के बदलाव से उद्देश्य पूरा नहीं होगा।
क्या बदला है-क्या रहेगा?
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अब गैंगस्टरों को विशिष्ट सुविधा जैसे महंगे कपड़े, ब्रांडेड जूते, लॉन्ग हेयर, दिखावटी गहने नहीं मिलेंगी — उन्हें सामान्य वर्दी पहननी होगी।
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उन्हें समान श्रमकार्य करना पड़ सकता है जैसे सफाई-कार्य।
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जेल प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि नाम-दर्जा और गैंग-स्थिति किसी तरह विशेषाधिकार नहीं देगी।
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इस बदलाव का उद्देश्य जेल को सजावटी स्थान नहीं, बल्कि सुधार-मूलक संस्थान बनाना है।
समाप्ति में
हरियाणा जेल विभाग द्वारा यह फैसला यह संकेत देता है कि जेलों में व्यवस्था बदल रही है — जहाँ अपराध की हाई-प्रोफाइल शैलियों को सहजता से आगे चलने नहीं दिया जाएगा। यह सिर्फ दिखावा नहीं, बल्कि व्यवहारिक बदलाव की दिशा में महसूस किया गया कदम है। आगे यह देखा जाना है कि ये प्रयास कितनी दृढ़ता से और व्यापक रूप से लागू होते हैं, और जेल-व्यवस्था में सुधार व पुनर्वास-परक दृष्टिकोण कितना सफल साबित होता है।
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