सावन का आखिरी सोमवार है खास, महादेव देंगे आर्शीवाद, अभी से जान ले पूजन, विधि और संयोग
सावन का आखिरी सोमवार व्रत बचा हुआ है। मान्यता है कि सावन में अगर महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाए तो हर मनोकामना की सिद्धी होती है। साथ ही अकाल मृत्यु के भय से भी बचा सकता है। शिवभक्त इस पूरे महीने में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं। सावन के महीने में भगवान शिव का जलाभिषेक और रुद्राभिषेक होता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल सावन मास 29 दिनों का है, जिसमें चार सोमवार विशेष माने गए हैं। इनमें से तीन सोमवार बीत चुके हैं और अब आखिरी सोमवार 4 अगस्त 2025 को पड़ रहा है। इसलिए भक्तों के पास भगवान शिव की कृपा पाने का यह अंतिम अवसर है। ऐसे में आइए जानते हैं कि सावन के चौथे यानी आखिरी सोमवार पर कौन-कौन से शुभ संयोग बन रहे हैं, शिव पूजन के लिए शुभ मुहूर्त क्या है और जलाभिषक व रुद्राभिषेक के लिए शुभ समय क्या है।
चौथे सावन सोमवार के शुभ संयोग और मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 4 बजकर 20 मिनट से 5 बजकर 02 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12:00 से 12:54 बजे तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 2:41 से 3:35 बजे तक
निशीथ काल- रात 12:06 से 12:48 बजे तक
अमृत काल- 4-5 अगस्त की मध्यरात्रि 1:47 से 3:32 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योग- सुबह 5:44 से 9:12 बजे तक
रवि योग- पूरे दिन
जलाभिषेक और रुद्राभिषेक के लिए शुभ समय
सावन सोमवार पर भगवान शिव के जलाभिषेक और रुद्राभिषेक के लिए शिववास योग, ब्रह्म मुहूर्त, प्रदोष काल और अमृत काल सर्वोत्तम माने गए हैं। दृक पंचांग के अनुसार, इस सावन के चौथे और अंतिम सोमवार पर ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 21 मिनट से 5 बजकर 03 मिनट तक रहेगा। जबकि, इस दिन प्रदोष काल शाम 7 बजकर 10 मिनट से 8 बजकर 14 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा अमृत काल 4 अगस्त को तड़के 1 बजकर 47 मिनट से 3 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। वहीं इस दिन शिववास सुबह 11 बजकर 41 मिनट तक रहेगा।
पूजन विधि
सावन के चौथे सोमवार पर यानी 4 अगस्त को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें। इसके साथ ही इस दिन विशेष रूप से हरे रंग के वस्त्र पहने। ऐसा इसलिए क्योंकि यह रंग भगवान शिव और माता पार्वती को बेहद प्रिय है। इसके अलावा आप चाहें तो इस दिन सफेद वस्त्र भी धारण कर सकते हैं। इतना करने के बाद शांत मन से शांत मन से भगवान शिव के आगे बैठें, हाथ में फूल रख व्रत का संकल्प लें। शिवलिंग पर पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, शक्कर) से जलाभिषेक करें। जलाभिषेक के दौरान पंचाक्षर मंत्र (ऊँ नम शिवाय) का उच्चारण करें। इसके बाद पुष्प, धतूरा, भांग, बेलपत्र, फल और मिठाई शिवलिंग पर अर्पित करें। भगवान शिव से अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगे और मनोकामना करें। व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें। किसी के प्रति अपने मन में द्वेष ना रखें और भगवान के नाम का जाप करें।

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